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अब डेनमार्क में भी महिलाएं सेना में भर्ती होंगी

साहिबा खान
१४ मार्च २०२४

यूरोप में सुरक्षा की गंभीर होती स्थिति और यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण कई यूरोपीय देश अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं. इसी क्रम में डेनमार्क की अब महिलाओं को भी शामिल करने की योजना है.

Deutschland | Münchener Sicherheitskonferenz | Dänische Premierministerin Mette Frederiksen
तस्वीर: THOMAS KIENZLE/AFP/Getty Images

डेनमार्क अपनी सेना में भर्तियां बढ़ाना चाह रहा है. इस दिशा में दो बड़े कदम उठाए जा रहे हैं. पहला, महिलाओं को सेना में शामिल करने के लिए प्रावधान लाया जा रहा है. दूसरा, महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए सर्विस का कार्यकाल चार महीने से बढ़ाकर 11 महीना किया जा रहा है. डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडेरिक्सन ने यह जानकारी दी.

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम फ्रेडरिक्सन ने कहा, "हम इसलिए हथियारबंद नहीं हो रहे कि हम युद्ध चाहते हैं. हम इसलिए हथियारबंद हो रहे हैं, ताकि हम युद्ध से बच सकें." उन्होंने आगे कहा, "सरकार को महिलाओं और पुरुषों में समानता चाहिए."

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक डेनमार्क के पास फिलहाल लगभग 9,000 सैनिक हैं. उसमें से करीब 4,700 सिपाही अभी बुनियादी प्रशिक्षण ही ले रहे हैं. सरकार 300 और सिपाही भर्ती करना चाहती है ताकि 5,000 सिपाहियों के आंकड़े तक पहुंचा जा सके. डेनमार्क नाटो देशों का सदस्य है और यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेन का भारी समर्थक भी है.

डेनमार्क नाटो देशों का सदस्य है और यूक्रेन-रूस युद्ध में यूक्रेन का भारी समर्थक भी है.तस्वीर: Ukrainian Presidential Press Office via AP

बड़ी संख्या में महिलाएं करना चाहती हैं मिलिट्री सर्विस

समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक डेनमार्क में 18 साल से ज्यादा से शारीरिक तौर पर फिट पुरुषों को सैन्य सेवा में बुलाया जाता है. यह सर्विस चार महीने तक चलती है. चूंकि स्वेच्छा से आने वालों की संख्या पर्याप्त है, ऐसे में एक लॉटरी सिस्टम की व्यवस्था है. इसके कारण सभी युवाओं को सैन्य सेवा में आने की जरूरत नहीं पड़ती. पिछले साल यहां अनिवार्य सैन्य सेवा में लिए गए सैनिकों की संख्या 4,717 थी. आंकड़ों के अनुसार, कुल आवेदनों में से करीब 25 फीसदी संख्या महिलाओं की थी.

रक्षा मंत्री ट्रॉल्स लुंड पॉल्सेन ने कहा कि सैन्य सेवा में प्रस्तावित बदलावों के लिए मौजूदा कानून में संशोधन करना होगा. पॉल्सेन ने बताया कि ये बदलाव 2025 में किए जाएंगे और उसके एक साल बाद इसे लागू किया जाएगा.

इससे पहले साल 2017 में पड़ोसी देश स्वीडन ने महिलाओं और पुरुषों के लिए एक सैन्य ड्राफ्ट तैयार किया. यूरोप में सुरक्षा के लिहाज से बिगड़ते माहौल के कारण यह जरूरत महसूस की गई. पहले तो स्वीडन ने 2010 में पुरुषों के लिए अनिवार्य सेना प्रशिक्षण पर रोक लगाई थी क्योंकि तब जरुरत से ज्यादा वॉलंटियर थे. इससे पहले महिलाओं के लिए कभी भी सैन्य मसौदा तैयार नहीं किया गया था. नॉर्वे ने 2013 में एक कानून पेश किया था, जिसके तहत महिला और पुरुष दोनों ही सेना में भर्ती हो सकते थे.

2017 में, पड़ोसी देश स्वीडन ने महिलाओं और पुरुषों, दोनों के लिए एक सैन्य ड्राफ्ट तैयार किया क्योंकि स्वीडिश सरकार को लगा कि स्वीडन, यूरोप और उसके इर्द-गिर्द सुरक्षा के लिहाज से माहौल बिगड़ रहा है. हालांकि स्वीडन ने 2010 में पुरुषों के लिए अनिवार्य सेना प्रशिक्षण पर रोक लगाई थी क्योंकि उस समय उनके पास जरूरत से ज्यादा वालंटियर मौजूद थे. इससे पहले महिलाओं के लिए कभी भी सैन्य ड्राफ्ट तैयार नहीं किया गया था. हालांकि नॉर्वे ने 2013 में एक कानून पेश किया था जिसमें महिला और पुरुष दोनों ही सेना में भर्ती हो सकते थे.

भारत की बात करें तो आज भी महिलाएं ग्राउंड जीरो से कोसों दूर हैं. पिछले साल जुलाई में सरकार ने संसद में कहा था कि महिलाओं को सेना की स्पेशल फोर्सेज में जाने की मनाई नहीं है, बशर्ते वो उन फोर्सेज की गुणात्मक जरूरतें पूरी करें.

ब्राजील दक्षिण अमेरिका में महिलाओं को सेना में स्वीकार करने वाली पहली सेना थी.तस्वीर: Agência Verde-Oliva/Exército Brasileiro

ब्राजील दक्षिण अमेरिका में महिलाओं को सेना में स्वीकार करने वाली पहली सेना थी, हालांकि केवल महिला रिजर्व कोर में. यूरोप में देखा जाए तो डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, लिथुआनिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, रोमानिया और स्वीडन अपनी सेनाओं में महिलाओं को फ्रंट-लाइन में रखने की इजाजत देते हैं. बाकि दुनियाभर में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, इरिट्रिया, इजरायल और उत्तर कोरिया अपनी सेनाओं में फ्रंट-लाइन पर महिलाओं की भर्ती करते हैं.

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